- चल हवा, उस ओर मेरे साथ चलचल वहाँ तक जिस जगह मेरी प्रियागा रही होगी नई ताजा गजलचल हवा, उस ओर मेरे साथ चल।
चल जहाँ मेरा अमर विश्वास हैआत्माओं में मिलन की प्यास हैआज तक का तो यही इतिहास हैहै जहाँ मधुवन वहीं पर रास हैमिल गया जिसको कि कान्हा का पताकौन राधा है जरा तू ही बताजो कन्हैया से करेगी प्रीति छलचल हवा, उस ओर मेरे साथ चल।मत फँसा सुख चक्र दुख की कील मेंमत उठा तूफान दुख की झील मेंहो सके तो रख नये जलते दियेआस के बुझते हुए कंदील मेंतू हवा है कर सुरभि का आचमनछोड़कर अपने पुराने ये बसनतू नए अहसास के कपड़े बदलचल हवा, उस ओर मेरे साथ चल।चल जहाँ तक बाँसुरी की धुन चलेफूल की खुशबू चले, गुनगुन चलेभीग जा तू प्रीति के हर रंग मेंसाथ जब तक प्राण का फागुन चलेपूछ मत अब जा रहा हूँ मैं कहाँचल प्रतीक्षा में खड़े होंगे जहाँएक नीली झील, दो नीले कमलचल हवा, उस ओर मेरे साथ चल।
Sunday, January 20, 2008
चल हवा ** कुँअर बेचैन **
ज़िंदगी यूँ भी जली **कुँअर बेचैन**
ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक
चाँदनी चार क़दम, धूप चली मीलो तक
प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सर
ख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक
प्यार में कैसी थकन कहके ये घर से निकली
कृष्ण की खोज में वृषभानु-लली मीलों तक
घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक
माँ के आँचल से जो लिपटी तो घुमड़कर बरसी
मेरी पलकों में जो इक पीर पली मीलों तक
मैं हुआ चुप तो कोई और उधर बोल उठा
बात यह है कि तेरी बात चली मीलों तक
हम तुम्हारे हैं 'कुँअर' उसने कहा था इक दिन
मन में घुलती रही मिसरी की डली मीलों तक
चाँदनी चार क़दम, धूप चली मीलो तक
प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सर
ख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक
प्यार में कैसी थकन कहके ये घर से निकली
कृष्ण की खोज में वृषभानु-लली मीलों तक
घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की हँसी
ख़ुशबुएँ देती रही नन्हीं कली मीलों तक
माँ के आँचल से जो लिपटी तो घुमड़कर बरसी
मेरी पलकों में जो इक पीर पली मीलों तक
मैं हुआ चुप तो कोई और उधर बोल उठा
बात यह है कि तेरी बात चली मीलों तक
हम तुम्हारे हैं 'कुँअर' उसने कहा था इक दिन
मन में घुलती रही मिसरी की डली मीलों तक
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